कुछ मित्र सवाल करते हैं " जय भीम क्यों बोलते हो ? " मैं बताना चाहता हूँ जय भीम बोलने से मतलब कोई पूजा करने या भक्ति
करने से नहीं है । जय भीम बोलकर हम कृतज्ञता प्रकट करते हैं उस महामानव के प्रति जिसने हमको सही मायनों में इंसान बनाया
और इंसानी अधिकार दिलाये वर्ना उससे पहले हमारा जीवन क्या था ? पशुओ के समान जीवन व्यतीत करते थे हम । हमको पानी नहीं
पीने दिया जाता था । हम उस पानी को भी नहीं पी सकते थे जिसको पशु पक्षी पी सकते थे । बहुत से लोग पानी के अभाव में तड़प
तड़पकर दम तोड़ देते होंगे और बहुत से गन्दा अशुद्ध पानी पीकर अपने जीवन के लिए संघर्ष करते होंगे । इस स्थिति में उन पशुओं और
इंसानों में क्या फर्क रह गया था ? बाबा साहब ने हमको पानी दिलाने के लिए संघर्ष किया इसलिए हम जय भीम बोलते हैं । हमको अछूत
बनाया गया । सोचो अगर कोई अछूत बीमार होता होगा तो वो बिना इलाज के ही दम तोड़ देता होगा क्योंकि कोई भी वैद्य उसका इलाज
करने नहीं जाता होगा । अगर कोई वैद्य उसको स्पर्श करेगा तो वो अपवित्र हो जायेगा । इस प्रकार इलाज के अभाव में मरीज तड़प
तड़पकर मरेगा ही । इस स्थिति से हमको बाबा साहब ने उबारा और इस अमानवीय व्यवहार को गैरकानूनी घोषित किया । बाबा साहब के
इन्ही उपकारो से कृतज्ञ होकर हम जय भीम बोलते हैं ।
खूब पूजे ब्रह्मा विष्णु और महेश ।

खूब कराये यज्ञ और हवन ।
घर बेचकर पहुँच गए वन ।।
खूब घूमें तीर्थ यात्रा ।
घर में बची ना अन्न की तनिक भी मात्रा ।।
खूब गंगा जमुना नहाये ।
लौट के बुद्धू घर को आये ।।
खूब पूजे लक्ष्मी गणेश ।
पैसा बचा ना एक भी शेष ।।
दिया पंडो को भी खूब दान ।
मिला नही कहीं भगवान ।।
पूजे खूब लक्ष्मण राम ।
घर के बिगड़े सारे काम ।।
किये खूब व्रत उपवास ।
अपना शरीर भी रहा ना पास ।।
खूब रखे पत्नी ने करवा चौथ ।
फिर भी पत्नी से पहले पति को आ गयी मौत ।।
खूब पूजे लक्ष्मी दुर्गा और काली माई ।
घर में रही ना एक भी पाई ।।
खूब बजाये मैंने मंदिर में घंटा ।
फिर भी भरा ना मेरा अंटा ।।
खूब चढ़ाये मैंने माला फूल ।
फिर भी साफ़ हुई ना मन की धूल ।।
खूब जलाई मैंने अगरबत्ती और धूप ।
फेफड़ो को धुआं जलाता खूब ।
आप सभी से यह आग्रह है कि इस कविता को अवश्य पढे।।
है ऊँच नीच का रोग जहाँ
मैं उस देश की गाथा गाता हूँ।
भारत में रहने वालों की
मैं दोगली बात बताता हूँ।।
भगवानों के नाम यहाँ
मूर्ति पूजी जाती है।
मन्दिर में जाने वालों की
जाति पूछी जाती है।।
शूद्रों से दूर जहाँ
भगवान को रखा जाता है।
जहाँ इंसानो से भेदभाव
पशु को कहते माता है।।
ऐसे पाखण्डी लोगों का
पाखण्ड मैं बताता हूँ।
है ऊँच नीच का रोग जहाँ
मैं उस देश की गाथा गाता हूँ।।
नाम धर्म का लेकर जहाँ
लोगों का शोषण होता है।
कर्महीन इंसान जहाँ
भगवान भरोसे सोता है।।
भगवानों के नाम जहाँ
डर फैलाया जाता है।
पढ़ा लिखा इंसान जहाँ
विवेकहीन हो जाता है।।
विश्व को कूटुम्ब कहने की
हक़ीक़त मैं बताता हूँ ।
है ऊँच नीच का रोग जहाँ
मैं उस देश की गाथा गाता हूँ।।
दूल्हा नहीं बैठे घोड़ी पर
इस पर अगड़ी जाति अड़ती है।
बारात निकासी ख़ातिर जहाँ
पुलिस बुलानी पड़ती है।।
विद्या के घर में भी जहाँ
जाति से पंक्ति लगती है।
दान पुण्य के नाम यहाँ
एक ही जाति ठगती है।।
धर्म भीरू है लोग जहाँ
मैं उसके किस्से बताता हूँ।
है ऊँच नीच का रोग जहाँ
मैं उस देश की गाथा गाता हूँ।।
शादी की ख़ातिर जहाँ
जाति देखी जाती है।
जाति का लेकर नाम जहाँ
गाली बोली जाती है।।
अगर अछूत प्रेम करे तो
फाँसी दे दी जाती है।
नीची जाति वालों में
दहशत फैलायी जाती है।।
परम्पराओं के नाम जहाँ
स्वार्थ का पोषण बताता हूँ ।
है ऊँच नीच का रोग जहाँ
मैं उस देश की गाथा गाता हूँ।।।
यदि पूजा-पाठ करने से ही बुद्धि और शिक्षा आती
तो पुजारियों की औलादें ही विश्व में वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर होतो
वहम् से बचों
अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाओ
क्योंकि
शिक्षा से ही वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर और शासक बनते हैं
पूजा-पाठ से नहीं
अतः
वहम् का कोई ईलाज नहीं और शिक्षा का कोई जवाब नहीं
शिक्षित बनो .संगठित
बनो.
*💪जय भीम साथियों💪*
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