मैं चन्दन कुमार पासवान ,पिता-अमृत पासवान
ग्राम-कनकपुर, पोस्ट-नरपतिनगर
थाना -सकरी ,जिला-मधुबनी
बिहार का स्थायी निवासी हूँ
आज का जो विषय है वो है दहेज़ के साथ जूड़ा
क्या हम लोगो के समाज में जिस के पास पैसा नहीं रहता है तो क्या उस का शादी नहीं हो
पता है ऐसा तो कभी नहीं हुआ
क्या हम सभी लड़का को हमारे माता-पिता बेचने का काम करते है
आइये जानते है वो कैसे
माना की किसी लड़का को कोई लड़की के साथ शादी का बात हो रहा हो तो आइये
जानते है की वहाँ लड़का कैसे बिकता है
लड़का को लड़की पसंद हो गया
तो वह पर आ जाता है पैसा की बात की हम अपने लड़को को ये पढाया वो पढाया
क्या लड़की वाला लड़की को नहीं पढायावो भी तो उतना ही नहीं तो थोड़ा बहुत तो पढाया होगा
क्या उस में उस का खर्चा तो हुआ होगा जब लड़का वाला कहता की की हम को दहेज़ के रूप में 5लाख रुपया लेना है जिस के पास उतना नहीं रहे गा तो क्या उस लड़की की शादी नहीं होता क्या को की एक दुसरे का दिल मिल
गया तो बीच में परेशानी की बात होता है 5लाख रुपया एक कहावत तो उन होगा की बाबु न भैया सब से बाड़ा रुपया ये किसी ने ठीक की कहा होगा फिर लड़की वाल 5लाख से 2लाख पर आता है बहुत मोल-भाउ के बाद
2.5लाख पर ये फ़ाइनल होता की किसी गरीब के गला पर छूड़ा रखने के सामान होता है जिस के पास 2-4 लड़की हो तो वो घर जमीन को ही बेच देता है तब जाकर शादी होता है
उस के बाद लड़की मायके का बाद ससुराल आती है तो उस का पति ही उस का सब कुछ होता है
अगर लड़का वो अपनी पत्नी का ज्यादा बात माने तो बीबी का गुलाम सब कहता है
अगर माँ का बात माने तो चम्मचा अब वो क्या करे
लड़का अपनी माँ का बात न माने तो वही माँ आसपास के गाँव समाज को ऐ कहे गा की मेरा बेटा मेरा बात नहीं मान रहा है क्यों माने गा एक दिन तुम सब ने उस बो बेच दिया था जिस तरह एक पशु को बेच देता है
क्या गरीबी में जन्म लेना गुनाह है
वो गरीब क्या किया था जो अपना घर जमीन सब कुछ बेच दिया की मेरी बेटी खुश रहे
वो लड़की किस के लिए आई यहाँ जानने वाला कोन है सिर्फ उस का पति ही तो सब कुछ है
जिस लड़की को माँ-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी इतना प्यार से पाला आज वो एक ही पल में सब को भूल कर अपने पति के यहाँ चला जाता है क्योकि उस के लिए उस का पति ही सब कुछ होता है
एक कहावत ठीक ही कहा गया है
साँस भी कभी बहु थी
या वो साँस ये दिन भूल जाती है ऐसा नहीं होना चाहिए था
भले ही लड़की का जन्म मायके में हुआ लेकिन मरता है पति के यह
जिस घर में बचपन से घुमा जो अपना बचपन का अधिकार था वो सब पराया हो गया
और दुसरो का घर अपना अगर कुछ पालो के लिए मायके आती है तो कह कर चला जाता है की मेरे घर पर कोई नहीं होगा ये हर लड़की के साथ होगा चाहे वो गरीब का लड़की हो या अमीर का एक दिन सब को ससुराल जाना परता है
क्या दहेज़ लेने से अमीर नहीं बन जाता है अगर कल के दिन दहेज़ नहीं दोगे तो आजकाल के पेपर में जो उदाहरण रोज मिलता है की किसी को गला दबा का मार दिया तो किसी को आग में जालाकर
ये कब तक चलेगा सरकार क्यों नहीं रोकता है
तुम आप को संकल्प लेना होगा की इस अपराध को रोके क्यों की न दहेज़ ले न किसी को दे
क्यों की अगर हम वो कर दिखाएगे ये मेरा वादा है
भारत माता की जय
जय बिहार
जय बाबा साहब
ग्राम-कनकपुर, पोस्ट-नरपतिनगर
थाना -सकरी ,जिला-मधुबनी
बिहार का स्थायी निवासी हूँ
आज का जो विषय है वो है दहेज़ के साथ जूड़ा
तो बात ये है की दहेज़ लेना और देना दोनों ही में कानून अपराध है लेकिन वो कैसे बंद हो
इस पर हम सब ने कभी बिचर नहीं कियाक्या हम लोगो के समाज में जिस के पास पैसा नहीं रहता है तो क्या उस का शादी नहीं हो
पता है ऐसा तो कभी नहीं हुआ
क्या हम सभी लड़का को हमारे माता-पिता बेचने का काम करते है
आइये जानते है वो कैसे
माना की किसी लड़का को कोई लड़की के साथ शादी का बात हो रहा हो तो आइये
जानते है की वहाँ लड़का कैसे बिकता है
लड़का को लड़की पसंद हो गया
तो वह पर आ जाता है पैसा की बात की हम अपने लड़को को ये पढाया वो पढाया
क्या लड़की वाला लड़की को नहीं पढायावो भी तो उतना ही नहीं तो थोड़ा बहुत तो पढाया होगा
क्या उस में उस का खर्चा तो हुआ होगा जब लड़का वाला कहता की की हम को दहेज़ के रूप में 5लाख रुपया लेना है जिस के पास उतना नहीं रहे गा तो क्या उस लड़की की शादी नहीं होता क्या को की एक दुसरे का दिल मिल
गया तो बीच में परेशानी की बात होता है 5लाख रुपया एक कहावत तो उन होगा की बाबु न भैया सब से बाड़ा रुपया ये किसी ने ठीक की कहा होगा फिर लड़की वाल 5लाख से 2लाख पर आता है बहुत मोल-भाउ के बाद
2.5लाख पर ये फ़ाइनल होता की किसी गरीब के गला पर छूड़ा रखने के सामान होता है जिस के पास 2-4 लड़की हो तो वो घर जमीन को ही बेच देता है तब जाकर शादी होता है
उस के बाद लड़की मायके का बाद ससुराल आती है तो उस का पति ही उस का सब कुछ होता है
अगर लड़का वो अपनी पत्नी का ज्यादा बात माने तो बीबी का गुलाम सब कहता है
अगर माँ का बात माने तो चम्मचा अब वो क्या करे
लड़का अपनी माँ का बात न माने तो वही माँ आसपास के गाँव समाज को ऐ कहे गा की मेरा बेटा मेरा बात नहीं मान रहा है क्यों माने गा एक दिन तुम सब ने उस बो बेच दिया था जिस तरह एक पशु को बेच देता है
क्या गरीबी में जन्म लेना गुनाह है
वो गरीब क्या किया था जो अपना घर जमीन सब कुछ बेच दिया की मेरी बेटी खुश रहे
वो लड़की किस के लिए आई यहाँ जानने वाला कोन है सिर्फ उस का पति ही तो सब कुछ है
जिस लड़की को माँ-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी इतना प्यार से पाला आज वो एक ही पल में सब को भूल कर अपने पति के यहाँ चला जाता है क्योकि उस के लिए उस का पति ही सब कुछ होता है
एक कहावत ठीक ही कहा गया है
साँस भी कभी बहु थी
या वो साँस ये दिन भूल जाती है ऐसा नहीं होना चाहिए था
भले ही लड़की का जन्म मायके में हुआ लेकिन मरता है पति के यह
जिस घर में बचपन से घुमा जो अपना बचपन का अधिकार था वो सब पराया हो गया
और दुसरो का घर अपना अगर कुछ पालो के लिए मायके आती है तो कह कर चला जाता है की मेरे घर पर कोई नहीं होगा ये हर लड़की के साथ होगा चाहे वो गरीब का लड़की हो या अमीर का एक दिन सब को ससुराल जाना परता है
क्या दहेज़ लेने से अमीर नहीं बन जाता है अगर कल के दिन दहेज़ नहीं दोगे तो आजकाल के पेपर में जो उदाहरण रोज मिलता है की किसी को गला दबा का मार दिया तो किसी को आग में जालाकर
ये कब तक चलेगा सरकार क्यों नहीं रोकता है
तुम आप को संकल्प लेना होगा की इस अपराध को रोके क्यों की न दहेज़ ले न किसी को दे
क्यों की अगर हम वो कर दिखाएगे ये मेरा वादा है
भारत माता की जय
जय बिहार
जय बाबा साहब
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