दादरी में मै रोना चाहता था
जिससे की पूरी पृथ्वी सुन सके
मेरा रुदन मेरा विलाप
लेकिन मेरे भीतर की अथाह जलराशि
सुख चुकी थी वहाँँ की नदी के साथ-साथ
जैसे की दादरी का जीवंत संगीत
हत्यारों की मृत आत्मा में छटपटा रहा था
किसी जीवंत की खोज में
दादरी जैसे बेसुध था इन दिनों
बेकार -सा महसूस रहा था
वहाँ की गई हत्या का कारण जान कर
लेकिन हत्यारों जो कोई था
उसे दादरी के वर्षो पुराने आपसी रिस्तो को
बचने से अधिक ख़त्म करने में मजा आया
उसे मजा आया कवी लोगो की बनाई हुई
इस दुनिया को नष्ट करने में
जिसमे की रोज मुस्कराते हुऐ चेहरे थे
न त्रासदी थी, न शोक था, न कुरूपता थी
मगर तय यह भी था उसी दादरी में
कल बिलकुल नया सूरज निकलेगा
एक बिलकुल नयी नदी बहेगी झिलमिल
एक बिलकुल नया रिश्ता बनेगा मुहब्बत का
तय यह भी था हत्यारे ही मरे जायेगे एक दिन
और पृथ्वी पर मेरी हंसी सुनायी देगी
जो मेरे घर के दरवाजे खिड़किया से निकल
रही होगी
और वह लड़की अपना प्रेम पा लेगी फिर से
चन्दन कुमार पासवान
कनकपुर
बिहार
भारत
जय हिन्द जय भारत
जिससे की पूरी पृथ्वी सुन सके
मेरा रुदन मेरा विलाप
लेकिन मेरे भीतर की अथाह जलराशि
सुख चुकी थी वहाँँ की नदी के साथ-साथ
जैसे की दादरी का जीवंत संगीत
हत्यारों की मृत आत्मा में छटपटा रहा था
किसी जीवंत की खोज में
दादरी जैसे बेसुध था इन दिनों
बेकार -सा महसूस रहा था
वहाँ की गई हत्या का कारण जान कर
लेकिन हत्यारों जो कोई था
उसे दादरी के वर्षो पुराने आपसी रिस्तो को
बचने से अधिक ख़त्म करने में मजा आया
उसे मजा आया कवी लोगो की बनाई हुई
इस दुनिया को नष्ट करने में
जिसमे की रोज मुस्कराते हुऐ चेहरे थे
न त्रासदी थी, न शोक था, न कुरूपता थी
मगर तय यह भी था उसी दादरी में
कल बिलकुल नया सूरज निकलेगा
एक बिलकुल नयी नदी बहेगी झिलमिल
एक बिलकुल नया रिश्ता बनेगा मुहब्बत का
तय यह भी था हत्यारे ही मरे जायेगे एक दिन
और पृथ्वी पर मेरी हंसी सुनायी देगी
जो मेरे घर के दरवाजे खिड़किया से निकल
रही होगी
और वह लड़की अपना प्रेम पा लेगी फिर से
चन्दन कुमार पासवान
कनकपुर
बिहार
भारत
जय हिन्द जय भारत
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