ये
सच्ची कहानी है जो मैं लॉकडाउन और कोरोनावायरस पर आधारित है इसे पूरा पढ़े क्योकि
यही सचाई है जो आने वाला कल होगा I
मैं
लेखक चंदन कुमार पासवान जो की बहुत ही मेहनत से आप लोगो तक ये पंहुचा रहा हूँ मेरा
वेवसाइटchandan12345678 है गूगल में सर्च कर सकते है
मरना
और बचाना सब ऊपर वाले के हाथ में है I स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस और प्रसासन कर्मी ही
असली हीरो है ना की क्रिकेटर और फ़िल्मी सितारे , बिना उपयोग के सोना, चांदी और तेल
का कोई कीमत नहीं है , पहली बार पशु और पक्षियों को लगा की यह संसार उनका भी है I तारे
वास्तव में टीम-तिमाते है यह विश्वास महानगरो के बच्चो को पहली बार हुआ I हम और
हमारे बच्चो बिना जंग फ़ूड के भी रह सकते है I साफ – सुथरा और सादा जीवन जीना कोई
कठिन नहीं है I पैसे की कोई वैल्यू नहीं है, भारतीय अमीरों में मानवता कूट-कूट कर
भरी है ,ख़राब समय को भारतीय सबसे बेहतरीन तरीके से संभाल सकते है I कभी सोचा नहीं था की ऐसे भी दिन आयेंगे
I छुट्टिया तो होगी पर मना नहीं पाएंगे I आईसक्रीम का मौसम होगा पर खा नहीं पाएँगे
I रास्ते खुले होंगे पर कही जा नहीं पाएँगे I जो दूर रह गए उन्हें भुला नहीं
पाएंगे I और जो पास है , उनसे हाथ मिला नहीं पाएँगे I जो घर लौटने की राह देखते थे
I वो घर में ही बंद हो जाएँगे I और जिनके साथ वक्त बिताने को तरसते थे I उनसे भी
उब जाएँगे I क्या है तारीख कौन सा है बार
ये भी भूल जाएँगे I कैलेण्डर हो जाएँगे बेमानी बस यूँ ही दिन-रात बीतेंगे I
साफ हो जाएगी हवा पर चैन की साँस न ले पाएँगे I नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट चेहरा
माक्स से ढक जाएँगे I जो खुद को समझते से बादशाह वो मदद को हाथ फैलाएंगे I तुझे
क्या कंहू बीमारी कंहू की बहार कंहू, पीड़ा कंहू की त्योहार कंहू, संतुलन कंहू की
संहार कंहू, कहो तुझे क्या कंहू, मानव जो उदंड था पाप का प्रचंड था,सामर्थ का घमंड
था I प्रकृति को करता खंड-खंड था I नदिया
सारी त्रस्त थी सड़क सारी व्यस्त थी, जंगलो में आग थी, हवा में राख थी, खतरे में हर
जीव का घर था I
फिर
अचानक आई तू मौत का खौफ लाई तू I मानव को डराइ तू विज्ञान भी घबराई तुझसे, लोग यूँ मरने लगे खुद को घरो में भरने
लगे I
इच्छओ
को सिमित करने लगे I प्रकृति से डराने लगे अब लोग घर में सारे बंद है I
नदिया
स्वच्छन्द है , हवाओ में सुगंध है I वनों में आनंद है, जीव सारे मस्त है वातावरण
स्वक्ष है पक्षी शूरो में गा रहे है ,अब
तुम ही कहो तुझे क्या कंहू
बीमारी
कंहू की बहार कंहू, पीड़ा कंहू की त्योहार कंहू, संतुलन कंहू की संहार कंहू, कहो
तुझे क्या कंहू,
अब
मेरा अगला कहानी बहुत जल्द आ रहा है मजदूरो की पुकार
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